खिलौना Poetry

याद

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

ख़ुश-शनासी का सिला कर्ब का सहरा हूँ मैं

अब्दुल्लाह कमाल

ग़ुरूब-ए-शाम ही से ख़ुद को यूँ महसूस करता हूँ

ज़ुबैर रिज़वी

ज़ेहरा ने बहुत दिन से कुछ भी नहीं लिक्खा है

ज़ेहरा निगाह

मैं तो चाक पे कूज़ा-गर के हाथ की मिट्टी हूँ

ज़ेब ग़ौरी

मौज-ए-रेग सराब-सहरा कैसे बनती है

ज़ेब ग़ौरी

खिलौना

वसीम बरेलवी

मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा

वसीम बरेलवी

रात के समुंदर में ग़म की नाव चलती है

वामिक़ जौनपुरी

जो नहीं मुमकिन कभी मुमकिन वो होना चाहिए

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना

तनवीर सिप्रा

बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है

तनवीर सिप्रा

है समाँ हर तरफ़ बदलने को

सय्यद सग़ीर सफ़ी

आख़िरी खिलौने का मातम

शकील आज़मी

खेल सब छोड़ खेल अपना खेल

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

फ़िक्र में मुफ़्त उम्र खोना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इक अज़ाब होता है रोज़ जी का खोना भी

शाहिद लतीफ़

न जादू हूँ न टोना हो गया हूँ

साजिद हाश्मी

ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया

साहिर लुधियानवी

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है

साहिर लुधियानवी

मासूमियत

सईदुद्दीन

न फूल हूँ न सितारा हूँ और न शो'ला हूँ

रिफ़अत सरोश

खिलौने की तड़प में ख़ुद खिलौना वो न बन जाए

रऊफ़ ख़ैर

गिरफ़्तारी के सब हरबे शिकारी ले के निकला है

रऊफ़ ख़ैर

ग़ुरूब

राज नारायण राज़

दिल सा खिलौना हाथ आया है

इब्न-ए-सफ़ी

कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ

इब्न-ए-सफ़ी

ऐ फ़ैरी-टेल

हसन अकबर कमाल

ग़म-ए-जाँ गुम ग़म-ए-दुनिया में तो होना मुश्किल

हसन अकबर कमाल

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

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