खिलौने की तड़प में ख़ुद खिलौना वो न बन जाए
मिरा बच्चा सड़क पर रेज़गारी ले के निकला है
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गिरफ़्तारी के सब हरबे शिकारी ले के निकला है
आँखों प अभी तोहमत-ए-बीनाई कहाँ है
जुनूँ-पसंद हरीफ़-ए-ख़िरद तो हम भी हैं
कोई भी ज़ोर ख़रीदार पर नहीं चलता
दिल दुख न जाए बात कोई बे-सबब न पूछ
ना-ख़ुश गदाई से न वो शाही से ख़ुश हुए
अब इस से पहले कि तन मन लहू लहू हो जाए
बिकती नहीं फ़क़ीर की झोली ही क्यूँ न हो
धरती से दूर हैं न क़रीब आसमाँ से हम
ज़बाँ पे हर्फ़ तो इंकार में नहीं आता
ता-ब-कै मंज़िल-ब-मंज़िल हम मुसाफ़िर भागते