जुदाई Poetry

ये लाल डिबिया में जो पड़ी है वो मुँह दिखाई पड़ी रहेगी

आमिर अमीर

जज़्बा-ए-दर्द-ए-मुहब्बत ने अगर साथ दिया

कातता हूँ रात-भर अपने लहू की धार को

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

जबीं से नाख़ुन-ए-पा तक दिखाई क्यूँ नहीं देता

ज़ुबैर शिफ़ाई

वो किताब

ज़ेहरा निगाह

मिज़ाज-ए-शे'र को हर दौर में रहा महबूब

ज़ाहिद कमाल

नज़्म

ज़ाहिद डार

दर्द और दर्द भी जुदाई का

ज़हीर देहलवी

फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक

ज़हीर देहलवी

भूल कर हरगिज़ न लेते हम ज़बाँ से नाम-ए-इश्क़

ज़हीर देहलवी

सूखी ज़मीं को याद के बादल भिगो गए

ज़हीर अहमद ज़हीर

चमकती वुसअतों में जो गुल-ए-सहरा खिला है

ज़फ़र इक़बाल

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

तेरी यादें भी नहीं ग़म भी नहीं तू भी नहीं

यूसुफ़ तक़ी

लबों से आश्नाई दे रहा है

यशब तमन्ना

ख़ुदाओं की ख़ुदाई हो चुकी बस

यगाना चंगेज़ी

आप से आप अयाँ शाहिद-ए-मअ'नी होगा

यगाना चंगेज़ी

उस की आवाज़ में थे सारे ख़द-ओ-ख़ाल उस के

वज़ीर आग़ा

इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे

वसी शाह

तुम मिरी आँख के तेवर न भुला पाओगे

वसी शाह

शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं

वसीम बरेलवी

वो ज़िम्मेदारी कितनी ख़ुशी से निभाई थी

वक़ार ख़ान

रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना

वामिक़ जौनपुरी

रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना

वामिक़ जौनपुरी

गिरते हैं दुख से तेरी जुदाई के वर्ना ख़ैर

वलीउल्लाह मुहिब

उस बुत ने गुलाबी जो उठा मुँह से लगाई

वलीउल्लाह मुहिब

दुनिया में क्या किसी से सरोकार है हमें

वलीउल्लाह मुहिब

नालों से अगर मैं ने कभी काम लिया है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

छोड़ आया था मेज़ पर चाय

तौक़ीर अब्बास

ठहरे पानी पे हाथ मारा था

तौक़ीर अब्बास

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