जुदाई Poetry (page 7)

ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी

हसन नईम

तिरी जुदाई ने ये क्या बना दिया है मुझे

हसन जमील

सुब्ह आँख खुलती है एक दिन निकलता है

हसन आबिदी

शाएरी पूरा मर्द और पूरी औरत माँगती है

हसन अब्बास रज़ा

किसी की याद में आँखों को लाल क्या करना

हसन अब्बास रज़ा

हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं

हसन आबिद

किस की उस तक रसाई होती है

हक़ीर

हाए वो वक़्त-ए-जुदाई के हमारे आँसू

हकीम नासिर

अजीब कर्ब-ओ-बला की है रात आँखों में

हैदर क़ुरैशी

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का

हैदर अली आतिश

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

जब शाम हुई दिल घबराया लोग उठ के बराए सैर चले

हबीब मूसवी

फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है

हबीब मूसवी

लू हो सबा हो या पुर्वाई सब के साथ चलो

हबीब फख़री

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ

गुलज़ार

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

गुलज़ार

एक परवाज़ दिखाई दी है

गुलज़ार

हसरत ऐ जाँ शब-ए-जुदाई है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

दिल के हर जुज़्व में जुदाई है

ग़ुलाम मौला क़लक़

दिल के हर जुज़्व में जुदाई है

ग़ुलाम मौला क़लक़

पए-नज़्र-ए-करम तोहफ़ा है शर्म-ए-ना-रसाई का

ग़ालिब

है सब्ज़ा-ज़ार हर दर-ओ-दीवार-ए-ग़म-कदा

ग़ालिब

जुदाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई

फ़िराक़ गोरखपुरी

जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है

फ़िराक़ गोरखपुरी

रुका जवाब की ख़ातिर न कुछ सवाल किया

फ़ातिमा हसन

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