खिलौना Poetry (page 2)

मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है

फ़रहत एहसास

मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है

फ़रहत एहसास

जो इश्क़ चाहता है वो होना नहीं है आज

फ़रहत एहसास

उन्हें सवाल ही लगता है मेरा रोना भी

अज़ीज़ क़ैसी

पल-दो-पल है फिर ये सोना मिट्टी का

अतहर नासिक

तुम और मैं

अतीया दाऊद

वो मेरा है तो कभी भी न आज़माऊँ उसे

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का

आरिफ़ शफ़ीक़

कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का

आरिफ़ शफ़ीक़

रहती है सबा जैसे ख़ुशबू के तआ'क़ुब में

आरिफ़ अंसारी

मैं अपनी वुसअतों को उस गली में भूल जाता हूँ

अम्बर बहराईची

ख़ुश्क आँखों से लहू फूट के रोना इक दिन

अलीम सबा नवेदी

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

ग़म का पहाड़ मोम के जैसे पिघल गया

अहमद निसार

इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ

अहमद शनास

अमल बर-वक़्त होना चाहिए था

अहमद कमाल परवाज़ी

पल-दो-पल

अफ़रोज़ आलम

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

अदीम हाशमी

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा

अदीम हाशमी

दीप था या तारा क्या जाने

अदा जाफ़री

जो हैं मज़लूम उन को तो तड़पता छोड़ देते हैं

अब्बास दाना

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