फूल Poetry

ज़मीन मेरी रहेगी न आइना मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अब शहर में कहाँ रहे वो बा-वक़ार लोग

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

तहरीर

बलराज कोमल

पतझड़ का मौसम था लेकिन शाख़ पे तन्हा फूल खिला था

बिमल कृष्ण अश्क

लापता

मुबश्शिर अली ज़ैदी

रंग के गहरे थे लेकिन दूर से अच्छे लगे

आज़ाद हुसैन आज़ाद

किस रंग में हैं अहल-ए-वफ़ा उस से न कहना

महमूद शाम

एज़रा-पउंड की मौत पर

अख़्तर हुसैन जाफ़री

सुब्ह-ए-सादिक़

दर्शन सिंह

इक उम्र से जिस को लिए फिरता हूँ नज़र में

अहमद फ़ाख़िर

सियाह-रात पशेमाँ है हम-रकाबी से

अहमद फ़ाख़िर

कोई चराग़ न जुगनू सफ़र में रक्खा गया

वफ़ा नक़वी

प्यार का यूँ दस्तूर निभाना पड़ता है

वलीउल्लाह वली

हम ही ज़र्रे रुस्वाई से

ए जी जोश

अफ़्सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है

हबीब जालिब

सुब्ह का धोका हुआ है शाम पर

फ़ारूक़ इंजीनियर

किसी के बिछड़ने का डर ही नहीं

फ़ारूक़ इंजीनियर

ऐ लाहौर

जीलानी कामरान

असातीरी नज़्म

जवाज़ जाफ़री

गुल-दान

आरिफ़ अब्दुल मतीन

वो आलम ख़्वाब का था

हारिस ख़लीक़

मौसम

बलराज कोमल

नूर अँधेरे की फ़सीलों पे सजा देता हूँ

ग़म के बे-नूर मज़ारों का गला घोंट आया

कुछ हुस्न के फ़साने तरतीब दे रहा हूँ

फ़ुग़ाँ के साथ तिरे राहत-ए-क़रार चले

अँधेरों से उलझने की कोई तदबीर करना है

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

जाने हम ये किन गलियों में ख़ाक उड़ा कर आ जाते हैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

क़हत-ए-वफ़ा-ए-वा'दा-ओ-पैमाँ है इन दिनों

ज़ुहूर नज़र

हयात वक़्फ़-ए-ग़म-ए-रोज़गार क्यूँ करते

ज़ुहूर नज़र

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