मौसम

असीर-ए-आरज़ू हुजूम-ए-बे-अमाँ

शराब रोज़-ओ-शब की आतिश-रवाँ में

बरहमी के क़हक़हों की बाज़गश्त

अब हमारे दरमियाँ

अजीब ख़्वाहिशों के बीज बो रही है

मेरे वास्ते जो अजनबी है

उस को पास से गुज़रता देख लूँ तो उस की रौशनी

को नोच लूँ

जो उस के ख़ून में उतर रही है

उस के एक पल को दूसरे से जोड़ती है

तैरती है साँस में

हवा की वो शरीर मौज छीन लूँ

वो जानवर हमारी नस्ल का नहीं

वो क्यूँ हँसे वो क्यूँ जिए

हमारे रू-ब-रू हमारी आरज़ू के रू-ब-रू

वो इस ज़मीं पे क्यूँ चले

अजीब ख़्वाहिशें अजब ख़्वाहिशों की हम-सफ़र

हर एक आइना मगर है दूसरे के सामने

ग़लीज़ सूरतें ग़लीज़ सूरतों के सामने

मैं अजनबी वो अजनबी

असीर आरज़ू भी मगर सियाह का दिल दिल बे-ख़बर

वो दायरा रवाँ है जिस के हर सफ़र की इंतिहा

मक़ाम-ए-मर्ग-ए-ताज़गी मक़ाम-ए-मर्ग-ए-नग़्मगी

हवा नमी सफ़ेद धूप ज़र्द फूल देखते ही देखते गुज़र गए

हमारी आरज़ू के बीच मौसमों पे छा गए

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Mausam In Hindi By Famous Poet Balraj Komal. Mausam is written by Balraj Komal. Complete Poem Mausam in Hindi by Balraj Komal. Download free Mausam Poem for Youth in PDF. Mausam is a Poem on Inspiration for young students. Share Mausam with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.