उपाय Poetry

'साहिर-लुधियानवी के लिए

कुछ दिनों इस शहर में हम लोग आवारा फिरें

ज़ुबैर रिज़वी

दिल मुज़्तरिब है और परेशान जिस्म है

ज़ीशान साहिल

ज़ुल्फ़-ए-ख़मदार में नूर-ए-रुख़-ए-ज़ेबा देखो

ज़ाहिद चौधरी

वो अक्सर बातों बातों में अग़्यार से पूछा करते हैं

ज़हीर काश्मीरी

धार सी ताज़ा लहू की शबनम-अफ़्शानी में है

वज़ीर आग़ा

ख़लिश सुकूँ का मुदावा नहीं तो कुछ भी नहीं

वामिक़ जौनपुरी

आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है

वली मोहम्मद वली

दर्द आ के बढ़ा दो दिल का तुम ये काम तुम्हें क्या मुश्किल है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

इश्क़ में हर तमन्ना-ए-क़ल्ब-ए-हज़ीं सुर्ख़ आँसू बहाए तो मैं क्या करूँ

तुर्फ़ा क़ुरैशी

शरह-ए-जाँ-सोज़-ए-ग़म-ए-अर्ज़-ए-वफ़ा क्या करते

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

वाइज़-ए-शहर ख़ुदा है मुझे मा'लूम न था

सय्यद आबिद अली आबिद

जाने क्यूँ बातों से जलते हैं गिले करते हैं लोग

सुलतान रशक

और कर लेंगे वो क्या अब हमें रुस्वा कर के

सुलैमान अहमद मानी

ऐसा न हो ये दर्द बने दर्द-ए-ला-दवा

सूफ़ी तबस्सुम

ये क्या कि इक जहाँ को करो वक़्फ़-ए-इज़्तिराब

सूफ़ी तबस्सुम

क्या हुआ जो सितारे चमकते नहीं दाग़ दिल के फ़रोज़ाँ करो दोस्तो

सूफ़ी तबस्सुम

ज़ुल्फ़-ए-जानाँ पे तबीअत मिरी लहराई है

शेर सिंह नाज़ देहलवी

न कोई ख़्वाब न माज़ी ही मेरे हाल के पास

शहपर रसूल

गर्द-ए-मजनूँ ले के शायद बाद-ए-सहरा जाए है

शकील जाज़िब

आसमाँ था तुम थे या मेरा सितारा कौन था

शकील जाज़िब

आँख उन को देखती है नज़ारा किए बग़ैर

शकील बदायुनी

तू न आया तिरी यादों की हवा तो आई

शकेब बनारसी

साथ ग़ुर्बत में कोई ग़ैर न अपना निकला

शकेब बनारसी

सोचिए गर उसे हर-नफ़स मौत है कुछ मुदावा भी हो बे-हिसी के लिए

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

सोचिए गर उसे हर नफ़स मौत है कुछ मुदावा भी हो बे-हिसी के लिए

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

बे-ताब हैं और इश्क़ का दावा नहीं हम को

शहरयार

कुछ दर्द बढ़ा है तो मुदावा भी हुआ है

शाहिद माहुली

सारी ताबीरें हैं उस की सारे ख़्वाब उस के लिए

शफ़ीक़ सलीमी

हमारे दिल में मचलेगी किसी की आरज़ू कब तक

सत्यपाल जाँबाज़

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