जाने क्यूँ बातों से जलते हैं गिले करते हैं लोग

जाने क्यूँ बातों से जलते हैं गिले करते हैं लोग

तेरी मेरी दोस्ती के तज़्किरे करते हैं लोग

संग-बारी कर रहे हैं दूसरों के सहन में

और चकना-चूर अपने आइने करते हैं लोग

जिन का दा'वा था मुदावा होगा सब के दर्द का

अब तो उन की ज़ात पर भी तब्सिरे करते हैं लोग

अपना घर रौशन हो ज़ुल्मत में रहे सारा जहाँ

जाने किन लम्हों में ऐसे फ़ैसले करते हैं लोग

हर बिखरती रुत में जाग उठते हैं यादों के जहाँ

अपने अपने बे-वफ़ाओं के गिले करते हैं लोग

रंग है बे-क़ैद इम्काँ और ख़ुश्बू ला-मकाँ

इस सरापा रंग-ओ-निकहत से गिले करते हैं लोग

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In Hindi By Famous Poet Sultan Rashk. is written by Sultan Rashk. Complete Poem in Hindi by Sultan Rashk. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.