ऐसा न हो ये दर्द बने दर्द-ए-ला-दवा
ऐसा न हो कि तुम भी मुदावा न कर सको
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नाला-ए-सबा तन्हा फूल की हँसी तन्हा
तिरे फ़िराक़ में ज़हराब-ए-ग़म पिए जाऊँ
इक फ़क़त याद है जाना उन का
मिटी मिटी हुई यादों के दाग़ क्या जलते?
ये मरहला-हा-ए-शौक़ तौबा तौबा
तुम आसमाँ की तरफ़ न देखो
नज़्म
जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में
वफ़ा की आख़िरी मंज़िल भी आ रही है क़रीब
देखो शब-ए-हिज्र की दराज़ी देखो
दास्तान-ए-ग़म हम ने कह भी दी तो क्या होगा