उम्र Poetry

पहले तो फ़क़त उस का तलबगार हुआ मैं

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

कुछ ऐसे वस्ल की रातें गुज़ारी है मैं ने

अमित सतपाल तनवर

तिरी शबीह को लिक्खा है रंग-ओ-बू मैं ने

एहतिमाम सादिक़

दश्त-ए-उम्र

काशिफ़ रफ़ीक़

इक उम्र से जिस को लिए फिरता हूँ नज़र में

अहमद फ़ाख़िर

गुज़़रेंगे तेरे दौर से जो कुछ भी हाल हो

अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी

वो बुत बिना निगाह जमाए खड़ा रहा

अनवर अंजुम

हादसे उम्र-भर आज़माते रहे

देवेश दिक्षित

जवाँ होता बुढ़ापा

ममता तिवारी

सुकून

हरबंस मुखिया

टीपू-सुल्तान

इज्तिबा रिज़वी

मल्का-ए-तरन्नुम नूर-ए-जहाँ की नज़्र

हबीब जालिब

तिश्नगी

अनीस अहमद अनीस

दिल-ए-बे-इख़्तियार की ख़ुश्बू

किस के नग़्मे गूँजते हैं ज़िंदगी के साज़ में

घटाएँ छाई हैं साग़र उठा ले जिस का जी चाहे

सदियों के बाद होश में जो आ रहा हूँ मैं

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

कुछ गुनह नहीं इस में ए'तिराफ़ ही कर लो

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

कातता हूँ रात-भर अपने लहू की धार को

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

ये मेज़ ये किताब ये दीवार और मैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सो लेने दो अपना अपना काम करो चुप हो जाओ

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

मुझ को ये वक़्त वक़्त को मैं खो के ख़ुश हुआ

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

बाद-ए-तर्क-ए-उल्फ़त भी यूँ तो हम जिए लेकिन

ज़ुहूर नज़र

हर घड़ी क़यामत थी ये न पूछ कब गुज़री

ज़ुहूर नज़र

दीपक-राग है चाहत अपनी काहे सुनाएँ तुम्हें

ज़ुहूर नज़र

छोड़ कर दिल में गई वहशी हवा कुछ भी नहीं

ज़ुहूर नज़र

मिरी ज़ात का हयूला तिरी ज़ात की इकाई

ज़ुहैर कंजाही

बे-कराँ

ज़ुबैर रिज़वी

ख़ुर्शीद की बेटी कि जो धूपों में पली है

ज़ुबैर रिज़वी

यूँ तो दिए फ़रेब सहारों ने उम्र भर

ज़ोहरा नसीम

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