शौक़

शाम जब ढलती है मैं अपने ख़राबे की तरफ़

लोटता हूँ सर-निगूँ, बोझल क़दम

बारा घंटों की मशक़्क़त और थकन

बढ़ के ले लेती है मुझ को गोद में

और सैल-ए-तीरगी में डूब जाती है उम्मीद ओ शौक़ की इक इक किरन

रहगुज़ार-ए-आरज़ू पर चार-सू उड़ती है धूल

और इक आवाज़ आती है कहीं से

जो कि अन-जानी भी पहचानी भी है

ज़िंदगी कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं

इक मुसलसल मर्ग, इक सैल-ए-बला, नेज़ों के बन

आहों, कराहों के सिवा

फिर इसी तारीक लम्हे, फिर इसी नाज़ुक घड़ी

आरज़ू की रहगुज़र पर चंद नक़्श-ए-पा उभरते हैं सितारों की तरह

लहलहाता है कोई आँचल बहारों की तरह

फैल जाती है किसी गेसू की निकहत चार-सू

एक फ़िरदौसी तबस्सुम की सुनहरी चाँदनी

धीमे धीमे, ज़ीना ज़ीना

गुनगुनाती, रक़्स फ़रमाती हुई

बाम-ए-ग़म से ख़ाना-ए-दिल में उतर कर

थपथपाती है मुझे

गीत गाती है, कभी लोरी सुनाती है मुझे

और फिर जब सुब्ह को ख़ुर्शीद-ए-आलम-ताब की पहली किरन

गुदगुदाती है मुझे

कार-गाह-ए-दहर में वापस बुलाती है मुझे

आरज़ू ओ जुस्तुजू दिल में जवाँ पाता हूँ मैं

शौक़ की मय के नशे में चूर हो जाता हूँ मैं!!

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Shauq In Hindi By Famous Poet Iftikhar Aazmi. Shauq is written by Iftikhar Aazmi. Complete Poem Shauq in Hindi by Iftikhar Aazmi. Download free Shauq Poem for Youth in PDF. Shauq is a Poem on Inspiration for young students. Share Shauq with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.