जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
ग़ल्तीदा हैं महर-ओ-माह मेरे दिल में
इस दौर-ए-ख़िरद में इश्क़ गुम हो जाता
मिलती न अगर पनाह मेरे दिल में
Habib Jalib
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
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बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
ज़ब्त-ए-गिर्या
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं