दिल ने ग़म-ए-बे-हिसाब क्या क्या देखा
आँखों से जहाँ में ख़्वाब क्या क्या देखा
तिफ़्ली ओ शबाब ओ ऐश ओ रंज ओ राहत
इस उम्र ने इंक़लाब क्या क्या देखा
Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
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मय-ख़ान-ए-कौसर का शराबी हूँ मैं
अश्कों में नहाओ तो जिगर ठंडे हों
ला-रैब बहिश्तियों का मरजा है ये
क़तरे हैं ये सब जिस के वो दरिया है अली
इस्याँ से हूँ शर्मसार तौबा या-रब
ज़ाहिर वही उल्फ़त के असर हैं अब तक
अंदाज़-ए-सुख़न तुम जो हमारे समझो
गुलज़ार-ए-जहाँ से बाग़-ए-जन्नत में गए
दुनिया भी अजब सरा-ए-फ़ानी देखी
अख़्तर से भी आबरू में बेहतर है ये अश्क
अब वक़्त-ए-सुरूर- ओ फ़रहत-अंदोज़ी है
अफ़्ज़ूँ हैं बयाँ से मोजिज़ात-ए-हैदर