दामाद-ए-रसूल की शहादत है आज
मासूमों पे फ़ातिमा के आफ़त है आज
जन्नत में तड़पते हैं रसूल-उस-सक़लैन
ख़ातून क़यामत पे क़यामत है आज
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1360) Peoples Rate This
बरहम है जहाँ अजब तलातुम है आज
रुत्बा जिसे दुनिया में ख़ुदा देता है
गुलशन में फिरूँ कि सैर-ए-सहरा देखूँ
ग़फ़लत में न खो उम्र कि पछताएगा
क्या दस्त-ए-मिज़ा को हाथ आई तस्बीह
अंजाम पे अपने आह-ओ-ज़ारी कर तू
ऐ बख़्त-ए-रसा सू-ए-नजफ़ राही कर
ऐ ख़ालिक़-ए-ज़ुल-फ़ज़्ल-ओ-करम रहमत कर
अब हिन्द की ज़ुल्मत से निकलता हूँ मैं
दिल ने ग़म-ए-बे-हिसाब क्या क्या देखा
आला रुत्बे में हर बशर से पाया
पुतली की तरह नज़र से मस्तूर है तू