बस्त-ओ-यकुम-ए-माह-ए-मोहर्रम है आज
जिस आँख को देखिए वो पुर-नम है आज
आशूर से बे-दफ़्न है लाशा जिस का
उस बे-कफ़न-ओ-गोर का मातम है आज
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
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आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्बा बख़्शा
दिल ने ग़म-ए-बे-हिसाब क्या क्या देखा
दुख में हर शब कराहता हूँ या-रब
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
गुलज़ार-ए-जहाँ से बाग़-ए-जन्नत में गए
दश्त-ए-विग़ा में नूर-ए-ख़ुदा का ज़ुहूर है
खो दिल के मरज़ को ऐ तबीब-ए-उम्मत
जिस पर कि नज़र लुत्फ़ की शब्बीर करें
इस्याँ से हूँ शर्मसार तौबा या-रब
अंजाम पे अपने आह-ओ-ज़ारी कर तू
राही तरफ़-ए-आलम-ए-बाला हूँ मैं
आदम को ये तोहफ़ा ये हदिया न मिला