तबा Poetry

अब शहर में कहाँ रहे वो बा-वक़ार लोग

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

बहार हो कि मौज-ए-मय कि तब्अ की रवानियाँ

अब अश्क तो कहाँ है जो चाहूँ टपक पड़े

ज़हूरुल्लाह बदायूनी नवा

ज़मीं पे एड़ी रगड़ के पानी निकालता हूँ

ज़फ़र इक़बाल

बहुत सुलझी हुई बातों को भी उलझाए रखते हैं

ज़फ़र इक़बाल

कुदूरत नहीं अपनी तब्-ए-रवाँ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

बुलबुल वो गुल है ख़्वाब में तू गा के मत जगा

वलीउल्लाह मुहिब

मैं ने माना काम है नाला दिल-ए-नाशाद का

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

बहार आई है आराइश-ए-चमन के लिए

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

परोमीथियस

वहीद अख़्तर

होते हैं ख़ुश किसी की सितम-रानियों से हम

तिलोकचंद महरूम

न बुज़ला-संज न शाएर न शोख़-तब्अ रक़ीब

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

तर्ज़-ए-नौ की शाएरी

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ज़रा न हम पे किया ए'तिबार गुज़री है

सय्यद हामिद

कहो बुतों से कि हम तब्अ सादा रखते हैं

सय्यद आबिद अली आबिद

दिन ढला शाम हुई फूल कहीं लहराए

सय्यद आबिद अली आबिद

सो उस को छोड़ दिया उस ने जब वफ़ा नहीं की

सुल्तान सुकून

क्यूँ और ज़ख़्म सीने पे खाओ हो दोस्तो

सुलैमान अहमद मानी

यारब सराब-ए-अहल-ए-हवस से नजात दे

सिराजुद्दीन ज़फ़र

सनम ख़ुश तबईयाँ सीखे हो तुम किन किन ज़रीफ़ों सीं

सिराज औरंगाबादी

जो कुछ कि तुम सीं मुझे बोलना था बोल चुका

सिराज औरंगाबादी

हमारे दिल के आईने में है तस्वीर नानक की

श्याम सुंदर लाल बर्क़

अदल-ए-फ़ारूक़ी का एक नमूना

शिबली नोमानी

गह हम से ख़फ़ा वो हैं गहे उन से ख़फ़ा हम

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

हयात रास न आए अजल बहाना करे

शाज़ तमकनत

सफ़र नसीब अगर हो तो ये बदन क्यूँ है

शमीम हनफ़ी

दौरा है जब से बज़्म में तेरी शराब का

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े

शहज़ाद अहमद

बे-सर-ओ-सामाँ कुछ अपनी तब्अ से हैं घर में हम

शहाब जाफ़री

हस्ब-ए-फ़रमान-ए-अमीर-ए-क़ाफ़िला चलते रहे

सय्यद नसीर शाह

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