हस्ब-ए-फ़रमान-ए-अमीर-ए-क़ाफ़िला चलते रहे

हस्ब-ए-फ़रमान-ए-अमीर-ए-क़ाफ़िला चलते रहे

पा-ब-जौलाँ दीदा-ओ-लब-दोख़्ता चलते रहे

बे-बसीरत मंज़िलें गर्द-ए-सफ़र होती रहीं

और हम बे-मक़्सद-ओ-बे-मुद्दआ' चलते रहे

फ़स्ल-ए-गुल की चाप थी इस तब-ए-नाज़ुक पर गिराँ

था सफ़र ख़ुशबू का ग़ुंचे बे-सदा चलते रहे

काजली रातों में सूरज के हवाले सो गए

इक़्तिबास अपने लहू से ले लिया चलते रहे

सू-ए-मंज़िल पीठ थी आवारगी जारी रही

फ़ासला हर गाम पर बढ़ता रहा चलते रहे

जब ये देखा पैरहन का तार तक बाक़ी नहीं

कर के ज़ेब-ए-जिस्म ज़ख़्मों की क़बा चलते रहे

आप क्या हम ख़ुद भी सुन पाए न दिल की धड़कनें

अपने सीने पर क़दम रख कर सदा चलते रहे

(631) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sayed Naseer Shah. is written by Sayed Naseer Shah. Complete Poem in Hindi by Sayed Naseer Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.