ग़फ़लत में न खो उम्र कि पछताएगा
रोना ही ग़म-ए-शाह में काम आएगा
अस्बाब-ए-तअल्लुक़ से न भर दिल अपना
चलते हुए सब कुछ यहीं रह जाएगा
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
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अब गर्म ख़बर मौत के आने की है
अफ़्ज़ूँ हैं बयाँ से मोजिज़ात-ए-हैदर
बिस्त-ओ-यकुम-ए-माह-ए-मोहर्रम है आज
अकबर ने जो घर मौत का आबाद किया
क्यूँ-कर दिल-ए-ग़म-ज़दा न फ़रियाद करे
किस तरह करे न एक आलिम अफ़्सोस
जिस पर कि नज़र लुत्फ़ की शब्बीर करें
अंदाज़-ए-सुख़न तुम जो हमारे समझो
आँख अब्र-ए-बहारी से लड़ी रहती है
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
बरहम है जहाँ अजब तलातुम है आज
हो जाती है सहल पेश-ए-दाना मुश्किल