मैं उस से नफ़रत करता हूँ
क्यूँकि वो मुझ से
वैसी मोहब्बत नहीं करता
जैसी मोहब्बत मैं उस से करता हूँ
वो मुझ से मोहब्बत करता है
क्यूँकि मैं उस से
वैसी नफ़रत नहीं करता
जैसी नफ़रत वो मुझ से करता है
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रक्खा था जिसे दिल में वो अब है भी नहीं भी
हँसी में टाल रहे हो तुम उस के रोने को
होने को अब क्या देखिए क्या कुछ है और क्या कुछ नहीं
मोहब्बत चाहती है जिस को अफ़्साना बना देना
मसअला ये नहीं
तलाश फ़रेब-ए-मुतलक़ की
तलफ़ करेगी कब तक आरज़ू की जान आरज़ू
इस बे-ख़ुदी में रुख़्सत ख़ुद्दारी हो गई है
इक नश्तर-ए-निगाह है इस से ज़ियादा क्या
गुदाज़ तक ही ख़राबी हुनर सँभालेगा
ये नश्शा-ए-आगाही ख़तरनाक है सर में
हब्स तअल्लुक़ात में दूर न जा इधर उधर