कहते हैं
खोटे सिक्के बाज़ार में हमेशा नहीं चलते
हम देखते हैं
खोटे सिक्के
हमेशा बाज़ार में चलते रहते हैं
खोटे सिक्कों के लिए
हमेश्गी की तारीफ़
शायद मुख़्तलिफ़ है
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Ahmad Faraz
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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मोहब्बत चाहती है जिस को अफ़्साना बना देना
सब है ज़ेर-ए-बहस जो ज़ाहिर है या पोशीदा है
उस से मिल कर भी ख़लिश दिल में रहा करती है
मैं उस से नफ़रत (मोहब्बत) करता हूँ
वही मदार-ए-तमन्ना वही सितारा-ए-दिल
इस बे-ख़ुदी में रुख़्सत ख़ुद्दारी हो गई है
सच्चे मोती
गुदाज़ तक ही ख़राबी हुनर सँभालेगा
अगर न मानें न समझो कि जानते ही नहीं
हँसी में टाल रहे हो तुम उस के रोने को
कमान सौंप के दुश्मन को अपने लश्कर की
तलफ़ करेगी कब तक आरज़ू की जान आरज़ू