अव्वल-ए-इश्क़ की साअत जा कर फिर नहीं आई
फिर कोई मौसम पहले मौसम सा नहीं देखा
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(586) Peoples Rate This
हम शेर सुनाते हैं मफ़्हूम तुम्हारा है
चलते चलते यूँही क़दम जब डोलता है
कौन सुनता है हवाओं की अजब सरगोशियाँ
कफ़-ए-सैय्याद दाम-ए-ख़ुश-नुमा ज़ंजीर ओ ज़िंदाँ तक
है सफ़र में कारवान-बहर-ओ-बर किस के लिए
छूटे हैं ऐसे बार-ए-सफ़र से तमाम लोग
ये क़िस्सा-ए-जाँ यूँ ही मशहूर नहीं होता
पहले सब आवाज़ें इक शोर में ढलती हैं
ग़ज़ल अपनी रिवायत है ग़ज़ल तहज़ीब से होगी
महजूर कोई बात दिलेराना लिखेगा
हाँ मैं शिकस्ता-दिल हूँ मगर आइना तो हूँ
उजड़े हुए हैं शहर के दीवार-ओ-दर न जा