आईने से मुझ दल के तहय्युर को मिला देख
ये दोनों बराबर हैं कोई बेश न कम है
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Gulzar
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Jaun Eliya
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Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
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दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही का
वाजिबी बात कहीं ज़रा कहिए
बहुतों ने जिसे अर्श पे बे-जान में देखा
यार का वस्ल-ए-शबा-शब न हुआ था सो हुआ
पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहीं
किया अज़ल से है साने' ने बुत-परस्त मुझे
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
ज़रा कीजिए ग़ौर हज़रत-सलामत
देखा है कहीं गुल ने तुझे जिस की ख़ुशी से
और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीर
वो जो इक तोला कई माशा थी यारी तुम से