मौज-ए-तख़य्युल गुल का तबस्सुम परतव-ए-शबनम बिजली का साया
धोका है धोका नाम-ए-जवानी इस को जवानी कोई न समझे
Jaun Eliya
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छुपे तो कैसे छुपे चमन में मिरा तिरा रब्त-ए-वालिहाना
आ दोस्त साथ आ दर-ए-माज़ी से माँग लाएँ
बहार हो कि मौज-ए-मय कि तब्अ की रवानियाँ
ये दिल वालों से पूछो इस को दिल वाले समझते हैं
कुछ हुस्न के फ़साने तरतीब दे रहा हूँ
नाहीद ओ क़मर ने रातों के अहवाल को रौशन कर तो दिया
बसर करे जो मुजाहिदाना हयात उसे दाइमी मिलेगी
कल जो ज़िक्र-ए-जाम-ओ-मीना आ गया
मौसम-ए-गुल है बादल छाए खनक रहे हैं पैमाने
शौक़ कितने फ़रेब देता है
वो दिन गुज़रे कि जब ये ज़िंदगानी इक कहानी थी
ऐ अक़्ल साथ रह कि पड़ेगा तुझी से काम