सुन ऐ कोह-ओ-दमन को सब्ज़ ख़िलअत बख़्शने वाले
नहीं मिलता तिरे दर से ग़रीबों को कफ़न अब तक
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
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बरसों से तिरा ज़िक्र तिरा नाम नहीं है
आ दोस्त साथ आ दर-ए-माज़ी से माँग लाएँ
कुछ हुस्न के फ़साने तरतीब दे रहा हूँ
ये दिल वालों से पूछो इस को दिल वाले समझते हैं
नाहीद ओ क़मर ने रातों के अहवाल को रौशन कर तो दिया
कली की ख़ू है बहर-हाल मुस्कुराने की
निगाहों से ना-आश्ना चंद जल्वे
बसर करे जो मुजाहिदाना हयात उसे दाइमी मिलेगी
ले के दिल कहते हो उल्फ़त क्या है
सुब्ह बिछड़ कर शाम का व'अदा शाम का होना सहल नहीं
ऐ अक़्ल साथ रह कि पड़ेगा तुझी से काम
मौसम-ए-गुल है बादल छाए खनक रहे हैं पैमाने