क्या क़यामत है हिज्र के दिन भी
ज़िंदगी में शुमार होते हैं
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(883) Peoples Rate This
रुख़ पे यूँ झूम कर वो लट जाए
हुस्न जल्वा दिखा गया अपना
छुप छुप के अब न देख वफ़ा के मक़ाम से
तुम ने दीवाना बनाया मुझ को
वो भी हमें सरगिराँ मिले हैं
शोर दिन को नहीं सोने देता
कोई नहीं आता समझाने
जी नहीं आप से क्या मुझ को शिकायत होगी
कितने अंजान हैं क्या सादगी से पूछते हैं
दिल-ए-वीराँ को देखते क्या हो
लुत्फ़ फ़रमा सको तो आ जाओ
दिल-ए-नादाँ तिरी हालत क्या है