क्यूँ उजड़ जाती है दिल की महफ़िल
ये दिया कौन बुझा देता है
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(561) Peoples Rate This
मिरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोए
सुब्ह से शाम के आसार नज़र आने लगे
जब तसव्वुर में न पाएँगे तुम्हें
लुत्फ़ फ़रमा सको तो आ जाओ
आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद
क़रीब-ए-नज़'अ भी क्यूँ चैन ले सके कोई
'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई
कितना बेकार तमन्ना का सफ़र होता है
अपनी वुसअत में खो चुका हूँ मैं
तुम्हारे ब'अद ख़ुदा जाने क्या हुआ दिल को
छुप छुप के अब न देख वफ़ा के मक़ाम से
मग़रूर थे अपनी ज़ात पर हम