क़रीब-ए-नज़'अ भी क्यूँ चैन ले सके कोई
नक़ाब रुख़ से उठा लो तुम्हें किसी से क्या
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(489) Peoples Rate This
एक उदासी दिल पर छाई रहती है
थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे
क्यूँ उजड़ जाती है दिल की महफ़िल
दिल ने पाया क़रार पहलू में
आप ठहरे हैं तो ठहरा है निज़ाम-ए-आलम
जी नहीं आप से क्या मुझ को शिकायत होगी
तुम ने दीवाना बनाया मुझ को
दिलों को तोड़ने वालो तुम्हें किसी से क्या
'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई
कुछ तो रंगीनी-ए-अफ़कार खुले
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया