आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के ब'अद
आज की रात बड़ी देर के ब'अद आई है
Habib Jalib
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(516) Peoples Rate This
आए थे उन के साथ नज़ारे चले गए
थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे
जी दर्द से है निढाल अपना
बोले वो कुछ ऐसी बे-रुख़ी से
हुस्न जल्वा दिखा गया अपना
ऐसे लम्हे भी गुज़ारे हैं तिरी फ़ुर्क़त में
कैसे जीते हैं ये किस तरह जिए जाते हैं
सुब्ह से शाम के आसार नज़र आने लगे
ज़ोहद किस किस ने लुटाए हैं तुम्हें क्या मालूम
वस्ल की बात और ही कुछ थी
हसीन रातों जमील तारों की याद सी रह गई है बाक़ी
बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं