गरीब Poetry

सर पर किसी ग़रीब के नाचार गिर पड़े

ग़ुलाम हुसैन साजिद

तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में

आमिर अमीर

नज़र को क़ुर्ब-ए-शनासाई बाँटने वाले

हनीफ़ राही

कही अन-कही

ज़िया जालंधरी

ज़िंदगानी की हक़ीक़त तब ही खुलती है मियाँ

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

हैं बज़्म-ए-गुल में बपा नौहा-ख़्वानियाँ क्या क्या

ज़हीर काश्मीरी

वतन

यूसुफ़ राहत

शहर-ए-सुख़न अजीब हो गया है

याक़ूब यावर

जैसे हो उम्र भर का असासा ग़रीब का

वसी शाह

दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त

वसी शाह

फूल अपने वस्फ़ सुनते हैं उस ख़ुश-नसीब से

वसीम ख़ैराबादी

शीशा उस का अजीब है ख़ुद ही

वामिक़ जौनपुरी

ऐ बंदा-परवर इतना लाज़िम है क्या तकल्लुफ़

वलीउल्लाह मुहिब

मैं नाम-लेवा हूँ तेरा तू मो'तबर कर दे

वकील अख़्तर

हमेशा ख़ून-ए-शहीदाँ के रंग से आबाद

वहीद क़ुरैशी

याद आई न कभी बे-सर-ओ-सामानी में

वहीद अख़्तर

क्यूँ तिरी क़ंद-लबी ख़ुश-सुख़नी याद आई

वहीद अख़्तर

निफ़ाक़

उरूज क़ादरी

हैं सारे जुर्म जब अपने हिसाब में लिखना

उमर अंसारी

राएगाँ सुब्ह की चिता पर

तनवीर अंजुम

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

तबाहियों का तो दिल की गिला नहीं लेकिन

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

क़ुसूर इश्क़ में ज़ाहिर है सब हमारा था

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

ऐसा कहाँ हुबाब कोई चश्म-ए-तर कि हम

ताबाँ अब्दुल हई

मुशाएरा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ईद की अचकन

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

बदल के हम ने तरीक़ा ख़त-ओ-किताबत का

सय्यद आरिफ़ अली

उतर के धूप जब आएगी शब के ज़ीने से

सय्यद अहमद शमीम

था आईने के सामने चेहरा खुला हुआ

सय्यद अहमद शमीम

बे-जुर्म-ओ-बेगुनाह ग़रीब-उल-वतन किया

सय्यद अाग़ा अली महर

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