गरीब Poetry (page 2)

मौसम-ए-गुल कुंज-ए-गुलशन निकहत-ए-गेसू न हो

सुलतान रशक

नंग-ए-एहसास है अंदोह-ए-ग़रीब-उल-वतनी

सुलैमान आसिफ़

जलव-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखाता रह

सिराज औरंगाबादी

हवा चली तो पसीना रगों में बैठ गया

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

आओ कि अभी छाँव सितारों की घनी है

शोहरत बुख़ारी

ख़्वाब थे मेरे कुछ सुहाने से

शोभा कुक्कल

जुदा हों यार से हम और न हो रक़ीब जुदा

ज़ौक़

जो मस्त-ए-जाम-ए-बादा-ए-इरफ़ाँ न हो सका

शौक़ बहराइची

सुकून-ए-क़ल्ब मयस्सर किसे जहान में है

शारिब मौरान्वी

जो तेरी यादों से इस दिल का आफ़्ताब मिले

शारिब मौरान्वी

बहार-ए-ज़ीस्त की महरूमियाँ अरे तौबा

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

निगार-ए-मह-वश ओ महबूब-ए-लाला-रू की तरह

शमीम करहानी

हँसो न तुम रुख़-ए-दुश्मन जो ज़र्द है यारो

शमीम करहानी

ये किस ख़ता पे रूठ गई चश्म-ए-इल्तिफ़ात

शकील बदायुनी

ज़लज़ला

शकील बदायुनी

अब तक शिकायतें हैं दिल-ए-बद-नसीब से

शकील बदायुनी

हिज्र की रात मिरी जाँ पे बनी हो जैसे

शहज़ाद अहमद

ये जो रब्त रू-ब-ज़वाल है ये सवाल है

शाहिद लतीफ़

सुना है तेरी ज़माने पे हुक्मरानी है

शाहिद ग़ाज़ी

क़ैद-ए-इम्काँ से तमन्ना थी गमीं छूट गई

शहाब जाफ़री

पर्दा पड़ा हुआ था ख़ुदी ने उठा दिया

शफ़ीक़ जौनपुरी

शगुफ़्ता होते ही मुरझा गई कली अफ़सोस

शाद लखनवी

क्या ये बुत बैठेंगे ख़ुदा बन कर

शाद लखनवी

सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया

शाद अज़ीमाबादी

ये सिलसिले भी रिफ़ाक़त के कुछ अजीब से हैं

शबनम शकील

तारे जो आसमाँ से गिरे ख़ाक हो गए

शाद आरफ़ी

फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक

मोहम्मद रफ़ी सौदा

जिसे तू ने समझा है ज़िंदगी उसी इंक़लाब का नाम है

सरीर काबिरी

कटेगी कैसे गुल-ए-नौ की ज़िंदगी या-रब

सलाम संदेलवी

नवाह-ए-शौक़ में है इक दयार-ए-निकहत-ए-गुल

सज्जाद बाक़र रिज़वी

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