गरीब Poetry (page 5)

मंज़र अजब था अश्कों को रोका नहीं गया

फ़ारूक़ शफ़क़

इस औज पर न उछालो मुझे हवा कर के

फ़ारिग़ बुख़ारी

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हर क़दम ख़ौफ़ है दहशत है रिया-कारी है

फ़ैय्याज़ रश्क़

रोज़ आसेब आते जाते हैं

फ़ैसल अजमी

हिज्र मौजूद है फ़साने में

फ़ैसल अजमी

शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

रिश्वत-ख़ोर सरकारी मुलाज़मीन

दिलावर फ़िगार

'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो

दिलावर फ़िगार

जवाज़

दाऊद ग़ाज़ी

नई-देहली

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

रामायण का एक सीन

चकबस्त ब्रिज नारायण

मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले

चकबस्त ब्रिज नारायण

तुम सुन के क्या करोगे कहानी ग़रीब की

बिस्मिल अज़ीमाबादी

तंग आ गए हैं क्या करें इस ज़िंदगी से हम

बिस्मिल अज़ीमाबादी

आप अपने रक़ीब हैं हम लोग

बिर्ज लाल रअना

बस एक जान बची थी छिड़क दी राहों पर

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे

बेदम शाह वारसी

रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है

बेबाक भोजपुरी

मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ

बशीर बद्र

प्यार की नई दस्तक दिल पे फिर सुनाई दी

बशीर बद्र

बुझी बुझी है सदा-ए-नग़्मा कहीं कहीं हैं रबाब रौशन

बाक़र मेहदी

खड़ा था कौन कहाँ कुछ पता चला ही नहीं

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

उन्हें सवाल ही लगता है मेरा रोना भी

अज़ीज़ क़ैसी

दिल-ख़स्तगाँ में दर्द का आज़र कोई तो आए

अज़ीज़ क़ैसी

वही दाग़-ए-लाला की बात है कि ब-नाम-ए-हुस्न उधर गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

ज़मीं की ख़ाक तो अफ़्लाक से ज़ियादा है

अज़ीम हैदर सय्यद

नाव तूफ़ान में जब ज़ेर-ओ-ज़बर होती है

औलाद अली रिज़वी

न पूछो कैसे शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

औलाद अली रिज़वी

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