होंठ Poetry

दूसरा जन्म

बलराज कोमल

रंग जो ख़ुश्बू न था

बलराज कोमल

सलाम लोगो

हबीब जालिब

वही मैं हूँ वही मेरी कहानी है

मोईन निज़ामी

कब लज़्ज़तों ने ज़ेहन का पीछा नहीं किया

अनवर अंजुम

तुम्हारे लब पे नाम आया हमारा

अमित सतपाल तनवर

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

आरिफ़ अब्दुल मतीन

कोई शिकवा तो ज़ेर-ए-लब होगा

ए जी जोश

चाँद तारे जिसे हर शब देखें

अनवर अंजुम

सुकूत उस का है सब्र-ए-जमील की सूरत

अज़्म शाकरी

आख़िर हम ने तौर पुराना छोड़ दिया

अर्श सिद्दीक़ी

सुकूत-ए-शब

अज़हर क़ादिरी

ज़ाबता

हबीब जालिब

मैं ज़ेर-ए-लब अपना शजरा-ए-नसब दोहरा रहा था

जवाज़ जाफ़री

इश्क़-आबाद की शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

रात-दिन लब पे न हो क्यूँकि बयान-ए-देहली

बात बह जाने की सुन कर अश्क बरहम हो गए

दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है

न शिकवा लब तक आएगा न नाला दिल से निकलेगा

बेचैनी के लम्हे साँसें पत्थर की

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

वो सानेहा हुआ था कि बस दिल दहल गए!

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

पेड़ों की घनी छाँव और चैत की हिद्दत थी

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

हर घड़ी क़यामत थी ये न पूछ कब गुज़री

ज़ुहूर नज़र

जबीं से नाख़ुन-ए-पा तक दिखाई क्यूँ नहीं देता

ज़ुबैर शिफ़ाई

गुलाबों के होंटों पे लब रख रहा हूँ

ज़ुबैर रिज़वी

नया जन्म

ज़ुबैर रिज़वी

क़सीदे ले के सारे शौकत-ए-दरबार तक आए

ज़ुबैर रिज़वी

फिर दिल को रोज़ ओ शब की वही ईद चाहिए

ज़ुबैर रिज़वी

मिलन मौसमों की सज़ा चाहता हूँ

ज़ुबैर रिज़वी

आँखों में है बसा हुआ तूफ़ान देखना

ज़ुबैर फ़ारूक़

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