होंठ Poetry (page 26)

मिरी मोहब्बत की बे-ख़ुदी को तलाश-ए-हक़्क़-ए-जलाल देना

इफ़्फ़त अब्बास

ख़ूँ में तर सब्र की चादर कहाँ ले जाओगे

इफ़्फ़त अब्बास

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

ये तकल्लुफ़ ये मुदारात समझ में आए

इबरत मछलीशहरी

अपने एहसानों का नीला साएबाँ रहने दिया

इबरत मछलीशहरी

मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो

इब्राहीम अश्क

राह-ए-तलब में कौन किसी का अपने भी बेगाने हैं

इब्न-ए-सफ़ी

वो ख़्वाब जैसा था गोया सराब लगता था

इब्न-ए-मुफ़्ती

कल हम ने सपना देखा है

इब्न-ए-इंशा

दिल पीत की आग में जलता है

इब्न-ए-इंशा

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो

इब्न-ए-इंशा

जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली हम लोगों ने इश्क़ ईजाद किया

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या

इब्न-ए-इंशा

क्या ख़बर थी इंक़लाब आसमाँ हो जाएगा

हुसैन मीर काश्मीरी

जब झूट रावियों के क़लम बोलने लगे

हुसैन ताज रिज़वी

इतनी सी इस जहाँ की हक़ीक़त है और बस

हुसैन सहर

गो दाग़ हो गए हैं वो छाले पड़े हुए

होश तिर्मिज़ी

हरीफ़-ए-विसाल

हिमायत अली शाएर

नाला-ए-ग़म शो'ला-असर चाहिए

हिमायत अली शाएर

वक़्त ने रंग बहुत बदले क्या कुछ सैलाब नहीं आए

हिलाल फ़रीद

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मिरे शाने पे रहने दो अभी गेसू ज़रा ठहरो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

याद इतना है मिरे लब पे फ़ुग़ाँ आई थी

हीरा लाल फ़लक देहलवी

अश्क-ए-ग़म वो है जो दुनिया को दिखा भी न सकूँ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

निगाह-ए-शौक़ अगर दिल की तर्जुमाँ हो जाए

हया लखनवी

न ज़क़न है वो न लब हैं न वो पिस्ताँ न वो क़द

हातिम अली मेहर

ज़ुल्फ़ अंधेर करने वाली है

हातिम अली मेहर

वो ज़ार हूँ कि सर पे गुलिस्ताँ उठा लिया

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

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