वाहिद प्रेमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वाहिद प्रेमी
नाम | वाहिद प्रेमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Wahid Premi |
जन्म की तारीख | 1938 |
मौत की तिथि | 1993 |
जन्म स्थान | Madhya Pradesh |
वो और हैं किनारों पे पाते हैं जो सुकूँ
उफ़ गर्दिश-ए-हयात तिरी फ़ित्ना-साज़ियाँ
शख़्सिय्यत-ए-फ़नकार मुअ'म्मा नहीं 'वाहिद'
शब-ए-फ़िराक़ कई बार गोशा-ए-दिल से
राह-ए-तलब की लाख मसाफ़त गिराँ सही
न पूछिए कि शब-ए-हिज्र हम पे क्या गुज़री
मेरी दीवानगी-ए-इश्क़ है इक दर्स-ए-जहाँ
मैं औरों को क्या परखूँ आइना-ए-आलम में
क्यूँ शिकवा-ए-बे-मेहरी-ए-साक़ी है लबों पर
कोई हंगामा-ए-हयात नहीं
कोई गर्दिश हो कोई ग़म हो कोई मुश्किल हो
किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'
किस शान किस वक़ार से किस बाँकपन से हम
कभी न हुस्न-ओ-मोहब्बत में बन सकी 'वाहिद'
का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा का तजस्सुस क्यूँ हो
इस तरह हुस्न-ओ-मोहब्बत की करो तुम तफ़्सीर
हम वो रह-रव हैं कि चलना ही है मस्लक जिन का
हुजूम-ए-ग़म से मिली है हयात-ए-नौ मुझ को
हक़ बात सर-ए-बज़्म भी कहने में तअम्मुल
है शाम-ए-अवध गेसू-ए-दिलदार का परतव
गुल ग़ुंचे आफ़्ताब शफ़क़ चाँद कहकशाँ
एक मुद्दत से इसी उलझन में हूँ
दिलों में ज़ख़्म होंटों पर तबस्सुम
बा'द तकलीफ़ के राहत है यक़ीनी 'वाहिद'
अपना नफ़स नफ़स है कि शो'ला कहें जिसे
अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ
आज़ाद तो बरसों से हैं अरबाब-ए-गुलिस्ताँ
आशियाँ जलने पे बुनियाद नई पड़ती है
शिद्दत-ए-शौक़ असर-ख़ेज़ है जादू की तरह
राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश