का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा का तजस्सुस क्यूँ हो
जब मिरे क़ल्ब ही में मेरा ख़ुदा है यारो
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उफ़ गर्दिश-ए-हयात तिरी फ़ित्ना-साज़ियाँ
अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ
अपना नफ़स नफ़स है कि शो'ला कहें जिसे
एक मुद्दत से इसी उलझन में हूँ
शिद्दत-ए-शौक़ असर-ख़ेज़ है जादू की तरह
हुजूम-ए-ग़म से मिली है हयात-ए-नौ मुझ को
ग़म भी है कैफ़ भी है सोज़ भी है साज़ भी है
बा'द तकलीफ़ के राहत है यक़ीनी 'वाहिद'
हम वो रह-रव हैं कि चलना ही है मस्लक जिन का
गुल ग़ुंचे आफ़्ताब शफ़क़ चाँद कहकशाँ
राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश