इस तरह हुस्न-ओ-मोहब्बत की करो तुम तफ़्सीर
मुझ को आईना कहो और उन्हें तस्वीर कहो
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(539) Peoples Rate This
हक़ बात सर-ए-बज़्म भी कहने में तअम्मुल
राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश
बा'द तकलीफ़ के राहत है यक़ीनी 'वाहिद'
मेरी दीवानगी-ए-इश्क़ है इक दर्स-ए-जहाँ
आज फिर सर-ए-मक़्तल दे के ख़ुद लहू हम ने
हम वो रह-रव हैं कि चलना ही है मस्लक जिन का
शख़्सिय्यत-ए-फ़नकार मुअ'म्मा नहीं 'वाहिद'
अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ
ग़म भी है कैफ़ भी है सोज़ भी है साज़ भी है
जो दश्त-ए-तमन्ना में हर वक़्त भटकता है
आशियाँ जलने पे बुनियाद नई पड़ती है
ग़ैर-मुमकिन है कि मिट जाए सनम की सूरत