पूर्व Poetry

दयार-ए-ख़्वाब को निकलूँगा सर उठा कर मैं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ज़मीन मेरी रहेगी न आइना मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

इश्क़ उस से किया है तो ये गर याद भी रक्खो

फ़ीरोज़ाबी नातिक़ ख़ुसरो

फ़स्ल की जल्वागरी देखता हूँ

ज़ुबैर शिफ़ाई

नया जन्म

ज़ुबैर रिज़वी

वो आ गया तो सारा परी-ख़ाना जी उठा

ज़ुबैर रिज़वी

दिल के तातार में यादों के अब आहू भी नहीं

ज़ुबैर रिज़वी

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

ज़िया जालंधरी

जल-परी है तो वो तस्ख़ीर भी हो सकती है

ज़ीशान साजिद

जल-परी है तो वो तस्ख़ीर भी हो सकती है

ज़ीशान साजिद

आरिज़-ए-शम्अ' पे नींद आ गई परवानों को

ज़हीर काश्मीरी

नौ-गिरफ़्तार-ए-क़फ़स हूँ मुझे कुछ याद नहीं

ज़हीर देहलवी

नहीं कि दिल में हमेशा ख़ुशी बहुत आई

ज़फ़र इक़बाल

तेरी यादें भी नहीं ग़म भी नहीं तू भी नहीं

यूसुफ़ तक़ी

ज़िंदा रहने का वो अफ़्सून-ए-अजब याद नहीं

यज़दानी जालंधरी

रौशनी मेरे चराग़ों की धरी रहना थी

याक़ूब यावर

क़ब्र पर बाद-ए-फ़ना आइएगा

वज़ीर अली सबा लखनवी

बाग़-ए-आलम में है बे-रंग बयान-ए-वाइ'ज़

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सबा जज़्ब पे जिस दम दिल-ए-नाशाद आया

वज़ीर अली सबा लखनवी

शरीर तेरी तरह आँख भी तिरी होगी

वसीम ख़ैराबादी

शीशा उस का अजीब है ख़ुद ही

वामिक़ जौनपुरी

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

राएगाँ औक़ात खो कर हैफ़ खाना है अबस

वलीउल्लाह मुहिब

मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल

वलीउल्लाह मुहिब

मय-ए-गुल-गूँ के जो शीशे में परी रहती है

वलीउल्लाह मुहिब

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

दिल-ए-ख़िल्क़त-ए-ख़ुदा को सनमा जला न चंदाँ

वलीउल्लाह मुहिब

ऐ हम-नफ़स उस ज़ुल्फ़ के अफ़्साने को मत छेड़

वलीउल्लाह मुहिब

छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में

वली मोहम्मद वली

तुझ लब की सिफ़त लाल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा

वली मोहम्मद वली

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