पूर्व Poetry (page 5)

दिल ढूँढती है निगह किसी की

रियाज़ ख़ैराबादी

दर खुला सुब्ह को पौ फटते ही मय-ख़ाने का

रियाज़ ख़ैराबादी

आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया

रियाज़ ख़ैराबादी

ख़ाक छनवाती है दीवानों से अपने मुद्दतों

रिन्द लखनवी

ऐ परी हुस्न तिरा रौनक़-ए-हिंदुस्ताँ है

रिन्द लखनवी

उल्फ़त न करूँगा अब किसी की

रिन्द लखनवी

तोहमत-ए-हसरत-ए-पर्वाज़ न मुझ पर बाँधे

रिन्द लखनवी

नीस्त बे-यार मुझ को हस्ती है

रिन्द लखनवी

क्यूँ-कर न लाए रंग गुलिस्ताँ नए नए

रिन्द लखनवी

ख़ामोश दाब-ए-इश्क़ को बुलबुल लिए हुए

रिन्द लखनवी

हैं ये सारे जीते-जी के वास्ते

रिन्द लखनवी

इक परी का फिर मुझे शैदा किया

रिन्द लखनवी

छुप के घर ग़ैर के जाया न करो

रिन्द लखनवी

चलती रही उस कूचे में तलवार हमेशा

रिन्द लखनवी

तबीब देख के मुझ को दवा न कुछ बोला

रज़ा अज़ीमाबादी

शर्मिंदा नहीं कौन तिरी इश्वा-गरी का

रज़ा अज़ीमाबादी

मुझ को जो कहते हो म्याँ तुम हो कहाँ तुम हो कहाँ

रज़ा अज़ीमाबादी

किस के जल्वों ने दिखाई वादी-ए-उल्फ़त मुझे

रऊफ़ यासीन जलाली

अजीब ख़्वाहिश

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

नज़र में धूल फ़ज़ा में ग़ुबार चारों तरफ़

राशिद अनवर राशिद

जिस को आदत वस्ल की हो हिज्र से क्यूँकर बने

रशीद लखनवी

हिरास है ये अज़ल का कि ज़िंदगी क्या है

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

मैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से

रंजूर अज़ीमाबादी

चाह कर हम उस परी-रू को जो दीवाने हुए

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

ग़ुंचा-ए-गुल के सबा गोद भरी जाती है

इंशा अल्लाह ख़ान

ज़िन्हार हिम्मत अपने से हरगिज़ न हारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है

इंशा अल्लाह ख़ान

वो परी ही नहीं कुछ हो के कड़ी मुझ से लड़ी

इंशा अल्लाह ख़ान

वो जो शख़्स अपने ही ताड़ में सो छुपा है दिल ही की आड़ में

इंशा अल्लाह ख़ान

तुम्हारे हाथों की उँगलियों की ये देखो पोरें ग़ुलाम तीसों

इंशा अल्लाह ख़ान

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.