पूर्व Poetry (page 2)

तिरा मजनूँ हूँ सहरा की क़सम है

वली मोहम्मद वली

मुफ़्लिसी सब बहार खोती है

वली मोहम्मद वली

देखना हर सुब्ह तुझ रुख़्सार का

वली मोहम्मद वली

छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में

वली मोहम्मद वली

अगर गुलशन तरफ़ वो नौ-ख़त-ए-रंगीं-अदा निकले

वली मोहम्मद वली

आज दिस्ता है हाल कुछ का कुछ

वली मोहम्मद वली

कमर धोका दहन उक़्दा ग़ज़ाल आँखें परी चेहरा

वाजिद अली शाह अख़्तर

ज़ोहरा सुहैल शम्स ख़ुर बद्र बहा तू कौन है

वाजिद अली शाह अख़्तर

ग़ुंचा-ए-दिल खिले जो चाहो तुम

वाजिद अली शाह अख़्तर

दस्तार-ए-फ़क़ीराना इक ताज से अफ़्ज़ूँ है

वाजिद अली शाह अख़्तर

अल्लाह ऐ बुतो हमें दिखलाए लखनऊ

वाजिद अली शाह अख़्तर

रात क़ातिल की गली हो जैसे

वजद चुगताई

मावरा

वहीद अख़्तर

उम्र-भर उस की निशानी देखिए

विनीत आश्ना

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

उनवान चिश्ती

गर्द-आलूद दरीदा चेहरा यूँ है माह ओ साल के ब'अद

तौसीफ़ तबस्सुम

मौज-ए-ख़याल में न किसी जल-परी में आए

तौक़ीर तक़ी

उस कू मैं हुए हम वो लब-ए-बाम न आया

मीर तस्कीन देहलवी

अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी

तहज़ीब हाफ़ी

बंद-ए-ग़म मुश्किल से मुश्किल-तर खुला

ताबिश देहलवी

नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

ताबाँ अब्दुल हई

दाग़-ए-दिल अपना जब दिखाता हूँ

ताबाँ अब्दुल हई

ले के अपनी ज़ुल्फ़ को वो प्यारे प्यारे हाथ में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

हम को हवस-ए-जल्वा-गाह-ए-तूर नहीं है

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

अपना अपना रंग दिखलाती हैं जानी चूड़ियाँ

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

आशिक़-ए-हक़ हैं हमीं शिकवा-ए-तक़दीर नहीं

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

सिगरेट और पान का मुकालिमा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

अपनी आँखों से जो वो ओझल है

सय्यद अाग़ा अली महर

शिद्दत-ए-कर्ब से कराह उठा

सालेह नदीम

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