नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

न कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

सुनाऊँ किस को ग़म अपना अलम अपना फ़ुग़ाँ अपना

न ताक़त है इशारे की न कहने की न सुनने की

कहूँ क्या मैं सुनूँ क्या मैं बताऊँ क्या बयाँ अपना

निपट रखता है जी मेरा ख़फ़ा हूँ नाक में दम है

न घर भाता है ने सहरा कहाँ कीजे मकाँ अपना

हुआ हूँ गुम मैं लश्कर में परी-रूयाँ के है ज़ालिम

कहाँ ढूँडूँ किसे पूछूँ नहीं पाता निशाँ अपना

बहुत चाहा कि आवे यार या इस दिल को सब्र आवे

न यार आया न सब्र आया दिया मैं जी निदाँ अपना

क़फ़स में बंद हैं ये अंदलीबें सख़्त बेबस हैं

न गुलशन देख सकती हैं न अब वे आशियाँ अपना

मुझे आता है रोना ऐसी तन्हाई पे ऐ 'ताबाँ'

न यार अपना न दिल अपना न तन अपना न जाँ अपना

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In Hindi By Famous Poet Taban Abdul Hai. is written by Taban Abdul Hai. Complete Poem in Hindi by Taban Abdul Hai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.