पूर्व Poetry (page 6)

तब से आशिक़ हैं हम ऐ तिफ़्ल-ए-परी-वश तेरे

इंशा अल्लाह ख़ान

शब ख़्वाब में देखा था मजनूँ को कहीं अपने

इंशा अल्लाह ख़ान

नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया

इंशा अल्लाह ख़ान

मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम

इंशा अल्लाह ख़ान

मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे

इंशा अल्लाह ख़ान

लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो

इंशा अल्लाह ख़ान

लग जा तू मिरे सीना से दरवाज़ा को कर बंद

इंशा अल्लाह ख़ान

जो हाथ अपने सब्ज़े का घोड़ा लगा

इंशा अल्लाह ख़ान

गली से तेरी जो टुक हो के आदमी निकले

इंशा अल्लाह ख़ान

चाहता हूँ तुझे नबी की क़सम

इंशा अल्लाह ख़ान

भले आदमी कहीं बाज़ आ अरे उस परी के सुहाग से

इंशा अल्लाह ख़ान

बंक की जल्वा-गरी पर ग़श हूँ

इंशा अल्लाह ख़ान

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

ज़ख़्म अब तक वही सीने में लिए फिरता हूँ

इमरान आमी

तुझ से इक हाथ क्या मिला लिया है

इमरान आमी

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

इमरान आमी

क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़

इम्दाद इमाम असर

कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का

इम्दाद इमाम असर

मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना

इमदाद अली बहर

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

ऐसी कोयल न पपीहे की है प्यारी आवाज़

इमदाद अली बहर

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुल्ज़ुम से ज़्यादा

इमाम बख़्श नासिख़

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

स्कैप-इज़्म

इलियास बाबर आवान

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