पूर्व Poetry (page 8)

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

वस्ल में आपस की हुज्जत और है

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुद्दतों तक जो पढ़ाया किया उस्ताद मुझे

हफ़ीज़ जालंधरी

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

हबीब जालिब

दिल-ए-पुर-शौक़ को पहलू में दबाए रक्खा

हबीब जालिब

शब कि मुतरिब था शराब-ए-नाब थी पैमाना था

हबीब मूसवी

फ़रियाद भी मैं कर न सका बे-ख़बरी से

हबीब मूसवी

देख लो तुम ख़ू-ए-आतिश ऐ क़मर शीशे में है

हबीब मूसवी

सारे क़ुरआन से उस परी-रू को

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

किस क़दर मुझ को ना-तवानी है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

किस नाज़ से वाह हम को मारा

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

हसरत ऐ जाँ शब-ए-जुदाई है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

अपना हर उज़्व चश्म-ए-बीना है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

शम्अ-रू आशिक़ को अपने यूँ जलाना चाहिए

ग़मगीन देहलवी

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ग़ालिब

ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

ग़ालिब

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

ग़ालिब

नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच

ग़ालिब

माना-ए-दश्त-नवर्दी कोई तदबीर नहीं

ग़ालिब

ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है

ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

ग़ालिब

देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है

ग़ालिब

बज़्म-ए-शाहंशाह में अशआर का दफ़्तर खुला

ग़ालिब

आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़ान-ए-सदा-ए-आब है

ग़ालिब

दिल-ए-ग़म-ज़दा पे गुज़र गया है वो हादसा कि मिरे लिए

गणेश बिहारी तर्ज़

रह-ए-इश्क़ में ग़म-ए-ज़िंदगी की भी ज़िंदगी सफ़री रही

गणेश बिहारी तर्ज़

चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़

फ़ुज़ैल जाफ़री

ख़ाक में मुझ को मिरी जान मिला रक्खा है

फ़ज़ल हुसैन साबिर

उजलत में पशेमानी का तज़्किरा

फर्रुख यार

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