फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

ये हाथ है सो करे ये सीना घड़ियाल है

रोता हूँ शाम-ओ-सहर टुकड़े है ग़म से जिगर

बेदर्द कुछ रहम कर मेरा बुरा हाल है

बेचैन कहाँ दिल-ए-सामाँ याक़ूब का है मक़ाल

जिंस-ए-वफ़ा का है काल कनआन में हट-ताल है

रेशम के लच्छे हैं बाल मख़मल के टुकड़े हैं गाल

है ये नज़ाकत का हाल पतली कमर बाल है

आशिक़ बचे ता-ब की काली बला है ये शय

काकुल का जो हल्क़ा है मूज़ी का चंगाल है

क्यूँ आए हम ऐ परी हलचल में है ज़िंदगी

आफ़त है तेरे गले आँधी है भौंचाल है

फूलों में रंगत न बू सब्ज़े को कूड़ा कहो

पा-ए-ख़िज़ाँ क़त्अ हो गुलज़ार पाएमाल है

दिल नज़र जिस ने किया ठुकरा के उस ने कहा

लेती है मेरी बला दरगोर क्या माल है

हर-दम न देख उस के बाल सर पर न ले ये वबाल

जी को बला में न डाल ऐ दिल ये जंजाल है

रफ़्तार कहिए उसे दिल हर क़दम पर पिसे

पूछे कोई कब्क से सदक़े अजब चाल है

क्या कहिए क्या ग़म सहा दिन-रात रोता रहा

दिल ख़ून हो कर बहा रंगीन रूमाल है

उश्शाक़ का है ये हाल दिन-रात है हाल-ए-क़ाल

आह-ओ-फ़ुग़ाँ है ख़याल-ए-सीना-ज़नी ताल है

सौत जफ़ा-केश है आशिक़ जिगर-रेश है

अबरू है या नीश है बिच्छू है या ख़ाल है

है कुछ न कुछ तो बजोग नाहक़ नहीं है ये बिरोग

कैसा लगा जी को रोग ऐ 'बहर' क्या हाल है

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