तारीफ Poetry

रात-दिन लब पे न हो क्यूँकि बयान-ए-देहली

ये लम्हा लम्हा तकल्लुफ़ के टूटते रिश्ते

ज़ुबैर रिज़वी

तिलिस्म-ए-हर्फ़-ओ-हिकायत उसे भी ले डूबा

ज़ुबैर रिज़वी

आज की तन्हाई से निकलो कल की आबादी में आओ

ज़हीर काश्मीरी

तल्ख़ शिकवे लब-ए-शीरीं से मज़ा देते हैं

ज़हीर देहलवी

सफ़र कठिन ही सही जान से गुज़रना क्या

ज़फ़र इक़बाल

ऐ बंदा-परवर इतना लाज़िम है क्या तकल्लुफ़

वलीउल्लाह मुहिब

शौक़ देता है मुझे पैग़ाम-ए-इश्क़

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

पोशीदा देखती है किसी की नज़र मुझे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

इक बहाना है तुझे याद किए जाने का

तुफ़ैल बिस्मिल

चमन में बर्क़ कभी आशियाँ से दूर नहीं

तिश्ना बरेलवी

मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है

तौसीफ़ तबस्सुम

मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है

तौसीफ़ तबस्सुम

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

क़दम तो रख मंज़िल-ए-वफ़ा में बिसात खोई हुई मिलेगी

सिराज लखनवी

मेहरबाँ पाते नहीं तेरे तईं यक आन हम

शेर मोहम्मद ख़ाँ ईमान

ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर

ज़ौक़

वो कौन है जो मुझ पे तअस्सुफ़ नहीं करता

ज़ौक़

दिल में शोला था सो आँखों में नमी बनता गया

शहपर रसूल

तंग थी जा ख़ातिर-ए-नाशाद में

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

देखूँ तो कहाँ तक वो तलत्तुफ़ नहीं करता

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे

शीन काफ़ निज़ाम

हुई या मुझ से नफ़रत या कुछ इस में किब्र-ओ-नाज़ आया

शौक़ क़िदवाई

ये ख़बर आई है आज इक मुर्शिद-ए-अकमल के पास

शौक़ बहराइची

देखते हैं जब कभी ईमान में नुक़सान शैख़

शौक़ बहराइची

बे-तकल्लुफ़ मिरा हैजान बनाता है मुझे

शारिक़ कैफ़ी

धड़कनें बंद-ए-तकल्लुफ़ से ज़रा आज़ाद कर

शरीफ़ कुंजाही

रौशनी साया-ए-ज़ुल्मात से आगे न बढ़ी

शकील बदायुनी

हक़ीक़त-ए-ग़म-ए-उल्फ़त छुपा रहा हूँ मैं

शकील बदायुनी

देख कर हर उज़्व उन का दिल हो पानी बह चला

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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