तारीफ Poetry (page 4)

काम दुनिया में बहुत करना है

अज़ीज़ लखनवी

मैं अपने जिस्म में रहती हूँ इस तकल्लुफ़ से

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

रह गया दीदा-ए-पुर-आब का सामाँ हो कर

अज़हर नक़वी

शक नहीं है हमें उस बुत के ख़ुदा होने में

अनवर शऊर

मुझे ये जुस्तुजू क्यूँ हो कि क्या हूँ और किया था मैं

अनवर शऊर

जब दिल में ज़रा भी आस न हो इज़्हार-ए-तमन्ना कौन करे

आनंद नारायण मुल्ला

ज़रा भी काम न आएगा मुस्कुराना क्या

आलोक मिश्रा

हिमाला

अल्लामा इक़बाल

खो न जा इस सहर ओ शाम में ऐ साहिब-ए-होश

अल्लामा इक़बाल

मस्लहत

अली साहिल

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

आवारा

अख़्तर पयामी

जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को

अख़तर इमाम रिज़वी

हंगामा-ए-आफ़ात इधर भी है उधर भी

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

जज़्बा-ए-दिल ने मिरे तासीर दिखलाई तो है

अकबर इलाहाबादी

बे-तकल्लुफ़ बोसा-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा लीजिए

अकबर इलाहाबादी

आज यूँ मुझ से मिला है कि ख़फ़ा हो जैसे

अकबर अली खान अर्शी जादह

किसी की नेक हो या बद जहाँ में ख़ू नहीं छुपती

ऐश देहलवी

कोई मंसब कोई दस्तार नहीं चाहिए है

अहमद कामरान

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'

अहमद फ़राज़

मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब

अहमद फ़राज़

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला

अहमद फ़राज़

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो

अहमद फ़राज़

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए

आग़ा हज्जू शरफ़

मैं ख़ुद को इस लिए मंज़र पे लाने वाला नहीं

अफ़ज़ल गौहर राव

हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूद

आदिल मंसूरी

कहो तुम किस सबब रूठे हो प्यारे बे-गुनह हम सीं

आबरू शाह मुबारक

शेर कहने की तबीअत न रही

अब्दुल सलाम

तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं

अब्दुल हमीद अदम

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