देख कर हर उज़्व उन का दिल हो पानी बह चला
खोल छाती बे-तकल्लुफ़ जब नहाएँ बाग़ में
Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Gulzar
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यूँ न हो यूँ हो यूँ हुआ सो क्यूँ
क़यामत तक जुदा होवे न या-रब
रात दिन यार बग़ल में हो तो घर बेहतर है
मुद्दत हुई पलक से पलक आश्ना नहीं
पहन कर जामा बसंती जो वो निकला घर सूँ
जिस ने आदम के तईं जाँ बख़्शा
राह में ग़म-ज़दा-ए-इश्क़ को क्या टोको हो
जब वो आली-दिमाग़ हँसता है
नज़र में उस की जो चढ़ता है सो जीता नहीं बचता
कहाँ है दिल जो कहूँ होवे आ के दीवाना
मिरा दिल बार-ए-इश्क़ ऐसा उठाने में दिलावर है