राह में ग़म-ज़दा-ए-इश्क़ को क्या टोको हो
अपनी हालत में गिरफ़्तार चला जाता है
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(444) Peoples Rate This
तुर्फ़ा माजून है हमारा यार
तू सुब्ह-दम न नहा बे-हिजाब दरिया में
इस की क़ुदरत की दीद करता हूँ
न मैं ने कुछ कहा तुझ से न तू ने मुझ से कुछ पूछा
मैं जाँ-ब-लब हूँ ऐ तक़दीर तेरे हाथों से
सब्र बिन और कुछ न लो हमराह
गली में उस की न देखा कभू किसी को मगर
जब आप से ही गुज़र गए हम
दिल मिरा आज यार में है गा
दर्द-ए-दिल मेरी आह से पूछो
गदा को गर क़नाअत हो तो फाटा चीथड़ा बस है
हाथ आता नहीं बग़ैर नसीब