मैं जाँ-ब-लब हूँ ऐ तक़दीर तेरे हाथों से
कि तेरे आगे मिरी कुछ न चल सकी तदबीर
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शहर में फिरता है वो मय-ख़्वार मस्त
तीर-ए-निगह लगा के तुम कहते हो फिर लगा न ख़ूब
जब आप से ही गुज़र गए हम
रात दिन जारी हैं कुछ पैदा नहीं इन का कनार
नहीं है शिकवा अगर वो नज़र नहीं आता
तेरे आने से यू ख़ुशी है दिल
कहाँ है दिल जो कहूँ होवे आ के दीवाना
इश्क़ ने चुटकी सी ली फिर आ के मेरी जाँ के बीच
होली
वहशत से हर सुख़न मिरा गोया ग़ज़ाला है
असीरों का नहीं कुछ शोर-ओ-ग़ुल ये आज ज़िंदाँ में
तू देख उसे सब जा आँखों के उठा पर्दे