ऐ परी हुस्न तिरा रौनक़-ए-हिंदुस्ताँ है
हुस्न-ए-यूसुफ़ है फ़क़त मिस्र के बाज़ार का रूप
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(433) Peoples Rate This
पास-ए-दीं कुफ़्र में भी था मलहूज़
आ अंदलीब मिल के करें आह-ओ-ज़ारियाँ
आलम-पसंद हो गई जो बात तुम ने की
वक़ार-ए-शाह-ए-ज़विल-इक्तदार देख चुके
फिर वही कुंज-ए-क़फ़स है वही सय्याद का घर
चढ़ी तेरे बीमार-ए-फ़ुर्क़त को तब है
इक परी का फिर मुझे शैदा किया
चलती रही उस कूचे में तलवार हमेशा
यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ
करीम जो मुझे देता है बाँट खाता हूँ
उदास देख के मुझ को चमन दिखाता है
अगरी का है गुमाँ शक है मलागीरी का